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नारी विमर्श:- बोलो आख़िर कितना झेलूं अभयदान अब किससे ले लूं,देख लिया पौरुष तुम सबका...सोच रही तलवार से खेलूं ।।डॉ मानसी द्विवेदी
देख लिया पौरुष तुम सबका..सोच रही तलवार से खेलूं ।।
देख लिया पौरुष तुम सबका सोच रही...सोच रही तलवार से खेलूं ।।डॉ मानसी द्विवेदी
नारी विमर्श:-
ReplyDeleteबोलो आख़िर कितना झेलूं
अभयदान अब किससे ले लूं,
देख लिया पौरुष तुम सबका...
सोच रही तलवार से खेलूं ।।
डॉ मानसी द्विवेदी
देख लिया पौरुष तुम सबका..
ReplyDeleteसोच रही तलवार से खेलूं ।।
देख लिया पौरुष तुम सबका सोच रही...
ReplyDeleteसोच रही तलवार से खेलूं ।।
डॉ मानसी द्विवेदी