हिंदी साहित्य इतिहास( आधुनिक काल )

3 comments:

  1. नारी विमर्श:-
    बोलो आख़िर कितना झेलूं
    अभयदान अब किससे ले लूं,
    देख लिया पौरुष तुम सबका...
    सोच रही तलवार से खेलूं ।।

    डॉ मानसी द्विवेदी

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  2. देख लिया पौरुष तुम सबका..
    सोच रही तलवार से खेलूं ।।

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  3. देख लिया पौरुष तुम सबका सोच रही...
    सोच रही तलवार से खेलूं ।।



    डॉ मानसी द्विवेदी

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